चन्द्र ग्रहण योग

चन्द्र ग्रहण योग के बारे में जानें ?

जन्मकुंडली में किसी एक भाव में राहू एवं चन्द्र की युति हो तो ग्रहण चन्द्र योग बनता है । इसमें भी राहू व् चन्द्र के अंशो में 9 अंश सेकम का अंतर हो तो यह योग प्रभावी होता है । यदि यह दुरी 7 अंश से कम की हो तो यह योग बहुत ही ज्यादा प्रभावी हो जाता है और यदि दोनों में अंतर 1.5 अंश से कम हो तो ये पूर्ण प्रभावी होता है । चन्द्र ग्रहण दोष की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है। चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। माँ के सुख में कमी आती है। किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं।

चन्द्र ग्रहण योग के प्रकार :

  1. सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) : इसमें सूर्य चंद्रमा को पूर्णतया ढक लेता है और सूर्य की किरणें धरती पर पहुंचने से रोकता है।
  2. चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) : इसमें चंद्रमा धरती के प्रकाश के कारण पूर्णतया ढक जाता है और चंद्रमा की रोशनी को ब्लॉक करता है।

चन्द्र ग्रहण योग के लक्षण :

  1. मानसिक प्रभाव : चन्द्र ग्रहण योग व्यक्ति के मानसिक स्थिति पर प्रभाव डाल सकता है। यह चंद्रमा की ऊर्जा को प्रभावित करके आंतरिक चिंताएं, अवसाद या आंशिक अस्तित्व की भावना का कारण बना सकता है।
  2. पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव : चन्द्र ग्रहण योग व्यक्ति के पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव डाल सकता है। यह संबंधों में तनाव या विवाद पैदा कर सकता है और पर्सनल संबंधों में अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है।
  3. स्वास्थ्य पर प्रभाव : चन्द्र ग्रहण योग व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। यह शारीरिक संताप, पाचन संबंधी समस्याएं या मनोविकारों के रूप में दिख सकता है।
  4. धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव पर प्रभाव : चन्द्र ग्रहण योग धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव पर प्रभाव डाल सकता है। यह ध्यान, पूजा या धार्मिक अभ्यास की गहराई और उत्कर्ष को बढ़ा सकता है।

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