मंगल दोष पूजा

क्या होता है मंगल दोष

किसी भी जातक की कुंडली में अगर लग्न से और चन्द्र से पहले, चौथे, सातवें, आठवे, व् बारहवे ( 1,4,7,8,12 ) स्थान में मंगल स्तिथ हो तो जातक को मांगलिक माना जाता है । दक्षिण भारत में मांगलिक दोष का निर्धारण दुसरे भाव से भी किया जाता है । गुजरात में मांगलिक दोष का निर्धारण शक्र से भी किया जाता है । इसके प्रभाव के फलस्वरूप जातक के विवाह में विलम्ब होता है साथ ही विवाह के बाद भी पति पत्नी के बीच परेशानी, दाम्पत्य जीवन में तनाव होने की सम्भावना होती है ।
साथ ही मकान, भूमि, शारीरिक कष्ट, दुर्घटना, अदालत सम्बन्धी परेशानी अशुभ प्रभाव वाले मंगल या मंगल दोष या मंगल का कुंडली में अच्छी स्तिथि न होने से ही होती है अगर जातक इनसे सम्बंधित व्यापार या नौकरी करता है तो उसमे भी सफलता नहीं मिलती । सप्तम एवं अष्टम मंगल विशेष प्रभावी माना जाता है ।

कैसे जाने की आपकी कुंडली में मंगल दोष है?

ये कोई नहीं जानता कर की मंगल दोष किसकी कुंडली में है या किसकी में नहीं, जब तक की वो अपनी कुंडली किसी विद्वान को न दिखाए । किन्तु वो व्यक्ति अपनी जीवन की समस्याओ को किसी के साथ साँझा करके अपनी समस्याओं का निवारण कर सकता है ।

मंगल दोष के कारण उठानी पड़ती है ये समस्याएं

मंगल दोष का प्रभाव कुछ जाने माने हैं:

  1. विवाह में देरी : मंगल दोष वाले व्यक्ति के विवाह में विलंब हो सकता है।
  2. संबंधों में तनाव : इस दोष के कारण संबंधों में तनाव और विघ्न आ सकता है।
  3. पारिवारिक विवाद : मंगल दोष वाले व्यक्ति के पारिवारिक संबंधों में विवाद और तकरार हो सकती हैं।
  4. भूतपूर्व प्रेम :इस दोष के कारण भूतपूर्व प्रेमी के साथ संबंधों में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  5. स्वास्थ्य समस्याएं : मंगल दोष के बावजूद भी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  6. मकान एवं भूमि सम्बंधित समस्याएं ।

मंगल दोष का निवारण सम्भव है ।

उज्जैन में मंगल दोष पूजा का महत्व अधिक है, क्योंकि यह महाकाल की नगरी है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस नगर में अंगारेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है जहां मंगल दोष निवारण के लिए मंगल भात पूजा की जाती है । उज्जैन एकमात्र एक ऐसा स्थान है जहां मंगल दोष निवारण के लिए भात पूजा मंगलनाथ मंदिर में की जाती है । उज्जैन में हर लिए पूजा करने आते हैं। मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

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